Tuesday, May 31, 2011

प्रसिद्ध व्यंगकार आलोक पुराणिक की पुस्तक 'बालम तू काहे न हुआ एन.र.आई'|

मूल्य -95 रूपये 
राजकमल की प्रस्तुति प्रसिद्ध व्यंगकार आलोक पुराणिक की पुस्तक 'बालम तू काहे न हुआ एन.र.आई'|

आलोक पुराणिक हमारे रोजमर्रा के जीवन की विसंगतियों की शल्य-क्रिया करने वाले व्यंगकार हैं | 'बालम तू काहे न हुआ एन.र.आई' उनका नया व्यंग संग्रह है | इसमें उन्होंने देश-विदेश एवं मिथकीय सन्दर्भों से जहाँ आज के सामाजिक जीवन की विद्रूपताओं को रेखांकित किया है, वहीँ राजनीती में व्याप्त भ्रष्टाचार पर प्रकाश डालने के साथ अपने स्वार्थों में लिप्त धार्मिक पाखंडियों का भी पर्दाफाश किया है |

व्यंग के बहाने लेखक हमारे जीवन से जुड़े उन विरोधाभासों को परत-दर परत खोलता चलता है जिनका सामना हमें जीवन में कदम-कदम पर करना पड़ता है और जहाँ हम नाटकीय जीवन जीने के लिए अभिशप्त हैं| स्वार्थों और चालाकियों की भेंट चढ़ते रिश्ते हों या बहुराष्ट्रीयता के प्रहसन के सामने अपनी साख बचाती स्थानीयता या फिर स्वतंत्रा बाद के भारत की राजनीती हो, यह सब उनकी लेखनी के दायरे में आते हैं, और इतने स्वाभाविक चुटीलेपन के साथ की पाठक भिन्न भिन्न मुस्कुराये हुए बिना नहीं रह सकता |

ईमेल (वी.पी.पी.) - marketing@rajkamalprakashan.com

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