Thursday, May 19, 2011

'हिंदी कहानी का इतिहास - 2'


राजकमल प्रकाशन की महत्वपूर्ण नयी प्रस्तुति 'हिंदी कहानी का इतिहास - 2 ' | यह किताब हिंदी कहानी का इतिहास का दूसरा खंड है | पहले खंड में 1900 -1950 अवधि की हिंदी कहानी का इतिहास प्रस्तुत किया गया था| इस खंड में 1951 -75 का इतिहास पेश किया जा रहा है |

1951 का दशक राजनितिक गुलामी और आर्थिक बदलाव की दृष्टि से युगांतरकारी था | यह सदियों की राजनितिक गुलामी और आर्थिक जड़ता के बाद नई चुनौतीपूर्ण स्तिथियों का सामना करने वाला युग था | इसी ऐतिहासिक-सामाजिक सन्दर्भ में आशा भरे उत्साह के बीच हिंदी कहानी के एक नए युग का आरम्भ हुआ | प्रगितिशील दौर की जनोन्मुखी दृष्टि इसे विरासत में मिली थी |

1951 -75 की अवधि में हिंदी में लगभग सवा सौ कहानीकार सक्रिय रहे हैं | इनमे कई पीढ़ियों के कहानीकार शामिल हैं | सदी के पहले दशक से लेकर पांचवें दशक के बीच कहानी लिखना आरम्भ करने वाले लगभग तीन दर्जन लेखक 1951  के दशक में कहानी-लेखन में सक्रिय थे |

इस किताब को प्रमाणिक बनाने के लिए सन्दर्भ-टिप्पणियों का भी बहुल प्रयोग किया गया है |

यह पुस्तक राजकमल की वेबसाइट पर उपलब्ध है http://www.rajkamalprakashan.com/index.php?p=sr&Uc=15817

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