Thursday, June 2, 2011

दीवान-ए-ग़ालिब

 मूल्य - 250 रूपये

 साहित्य के हजारों साल लम्बे इतिहास में जिन चाँद काव्य-विभूतियों को विश्वव्यापी सम्मान प्राप्त है, ग़ालिब उन्ही में से एक हैं| उर्दू के इस महान शायर ने अपनी युगीन पीडाओं को ज्ञान और बुद्धि के स्तर पर ले जाकर जिस ख़ूबसूरती से बयां किया, उससे समूची उर्दू शायरी ने एक नया अंदाज़ पाया और वही लोगों के दिलो-दिमाग पर छा गया| उनकी शायरी में जीवन का हर पहलु और हर पल समाहित है, इसीलिए वह जीवन की बहुविधि और बहुरंगी दशाओं में हमारा साथ देने की शमता रखती है|

काव्यशास्त्र की दृष्टि से ग़ालिब ने स्वयं को 'गुस्ताख' कहा है, लेकिन यही उनकी खूबी बनी | उनकी शायरी में जो हलके विद्रोह का स्वर है, जिसका रिश्ता उनके आहत स्वाभिमान से ज्यादा है, उसमे कहीं शंका, कही व्यंग्य, और कहीं कल्पना की जैसी तरंगे हैं, वे उनकी उत्कृष्ट काव्य-कला से ही संभव हुई हैं | इसी से उनकी ग़ज़ल प्रेम-वर्णन से बढ़कर जीवन-वर्णन तक पहुँच गयी है |

अपने विशिष्ट सौन्दर्यबोध से पैदा अनुभवों को उन्होंने जिस कलात्क्मता से शायरी में ढला, उससे न सिर्फ वर्तमान के तमाम बंधन टूटे, बल्कि वह अपने अतीत को समेटते हुए भविष्य के विस्तार में भी फैलती चली गई| निश्चय ही ग़ालिब का यह दीवान हमें उर्दू-शायरी की सर्वोपरि सीमा तक ले जाता है |

यह पुस्तक राजकमल की वेबसाइट पर उपलब्ध है http://www.rajkamalprakashan.com/index.php?p=sr&Uc=13665
 

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