मूल्य - 200 रूपये (HardBound)
मूल्य - 85 रूपये (Paperback )
राजकमल की एक हटकर और रोचक पुस्तक 'पाकिस्तान में युद्ध कैद के वे दिन'| यह पुस्तक भारत सेना के ब्रिगेडियर अरुण वाजपेयी द्वारा लिखी गयी है जो उनके साथ गठी सच्ची घटना पर आधारित है|
घटना को लगभग 39 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन लेखक ने स्मृतियों के सहारे इस पुस्तक को लिखते हुए उन त्रासद लम्हों को एक बार फिर जीया है और पूरी संजीदगी के साथ अपने तल्ख़ अनुभवों का जीवंत चित्रण किया है| 1965 के भारत-पाक युद्ध में लेखक पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त में सीमा रेखा के 35 किलोमीटर भीतर युद्ध कैदी बने और भारतीय सेना के दस्तावेजों में लगभग एक वर्ष तक लापता ही घोषित रहे | एक दुश्मन देश में एक वर्ष की अवधि युद्ध कैदी के रूप में बिताना कितन त्रासद और साहसिक कार्य था तथा वहां उन्हें किन-किन समस्याओं से निपटना पड़ा, इन सबकी तल्ख़ जानकारी इस किताब में पाठकों को मिलेगी|
यह किताब संशय और आशंकाओं से शुरू होती है तथा उम्मीद और आस्था की ओर बदती है जो पाठकों को बेहद रोमांचित करेगी |
यह पुस्तक राजकमल की वेबसाइट पर उपलब्ध है http://www.rajkamalprakashan.com/index.php?p=sr&Uc=12801
या ईमेल करें marketing@rajkamalprakashan.com (वी. पी. पी द्वारा)
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