Friday, July 29, 2011

'सितारों की रातें




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Friday, July 22, 2011

हिंदी की शब्द-सम्पदा

 
इस पुस्तक के बारे में और पढ़ें राजकमल की वेबसाइट पर http://www.rajkamalprakashan.com/index.php?p=sr&Uc=13047

Thursday, July 21, 2011

Monday, July 18, 2011

आदिवासी स्वन्तंत्रा सेनानियों की चित्र-कथाएं - समीक्षा

वीरों की गाथाओं पर कामिक्स – (राजकमल प्रकाशन)

अनिन्दिता का अभिनव प्रयाससमीक्षा

भारत क्या , किसी भी देश में छोटे बच्चों से लेकर टीनेजर तक को कामिक्स बहुत आकर्षित करते हैं | आज ऐसी किसी बाल पत्रिका की कल्पना करना भी मुश्किल है , जिसमें कामिक्स की स्टाईल में एक दो कहानियों का समावेश नहीं किया गया हो | भारत में कामिक्स काफी हद तक कामिक्स की पाश्चायत शैली से प्रभावित रहे हैं और प्रारंभिक दौर में कामिक्स के पात्र-कहानियां , उसका प्रस्तुतीकरण , चित्रण , सभी कुछ पाश्चायत शैली का ही हुआ करता था | कालान्तर में कामिक्स में भारतीयता के पुट दिए जाने के प्रयास हुए और भारतीय ढंग से लिखी कहानियों पर कामिक्स लिखे जाने लगे तथा उसी अनुरूप पात्र चित्रण और साज-सज्जा ने जगह ली | परन्तु , इस तरह लिखे गये कामिक्स की विषयवस्तु या तो पूर्णतः काल्पनिक होती थी , जैसे चाचा चौधरी , या फिर , इतिहास के नाम पर एकदम जाने पहचाने अथवा पौराणिक कथाओं को ही कामिक्स के विषयों के रूप में लेखकों ने उठाया |

भारत में स्वतंत्रता के लिये सशस्त्र संघर्ष करने की परंपरा बहुत पुरानी है | अंग्रेजों के खिलाफ किये गये संघर्षों में किसानों और आदिवासी किसानों के सशस्त्र संघर्षों का इतिहास 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी पुराना है | इस क्रांतिकारी इतिहास को कामिक्स का विषय बहुत कम या कभी नहीं बनाया गया | इतिहास में दर्ज ये गाथाएं जनश्रुति के रूप में तो प्रचलित हैं ही और इन गाथाओं पर आधारित कहानियां और लेख भी मिलते हैं , लेकिन इनके संबंध में छोटी उमर से ही अपने क्षेत्र के क्रांतिकारियों को बच्चों को परिचित कराने वाले साहित्य या माध्यम का अभाव पूर्णतः परिलक्षित होता है | अनिन्दिता का प्रयास इस मायने में अभिनव और प्रशंसनीय है कि वे झारखंड के वीर आदिवासियों और आदिवासी राजाओं के संघर्षों की गाथाओं को रोचक ढंग से कामिक्स के माध्यम से सामने लाती हैं और उस अभाव की पूर्ति करती हैं |

राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित अनिन्दिता के इन कामिक्स के क्रांतिकारी नायक निम्न हैं , जिनके नाम पर कामिक्स हैं ;
1.
क्रांतिकारी शहीद जग्गू दीवान
2.
देशभक्त ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव
3.
विद्रोह नायक टिकैत उमराव सिंह
4.
सिपाही विद्रोह के सेना नायक पाण्डेय गणपत राय
5.
स्वतंत्रता संग्राम का महानायक गया मुण्डा
6.
छोटा नागपुर का वीर सहिन्सावादी जतरा भगत
7.
क्रान्तीनायक नीलाम्बर-पीताम्बर
8.
तेलंगा खडिया की अमर कहानी
9.
कोल विद्रोह का अमर नायक कुर्जी मांकी

क्रांतिकारी शहीद जग्गू दीवान में सिंहभूमी के आदिवासी नेता जग्गू दीवान की कहानी है | जग्गू दीवान ने छोटा नागपुर की दो क्रान्तियों का नेतृत्व किया था | जग्गू दीवान 1831-32 में हुए कोल विद्रोह के समय कर्रा स्टेट में मेनेजर थे |जग्गू दीवान में अपनी उसी हैसियत में अंग्रेजों के पिठ्ठू राजाओं का विरोध किया था | 1857 में , जिस समय , पहली आजादी की लड़ाई की लहर जोरों पर थी , वे सिंहभूमी के दीवान बने और अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष को तेज किया | 19 नवंबर 1857 को वे अंग्रेजों के सिख और सरायकेला सैनिकों से लड़ते हुए पकडे गये और उसी दिन उन्हें फांसी दे दी गयी |
देशभक्त ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव , विद्रोह नायक टिकैत उमराव सिंह , सिपाही विद्रोह के सेना नायक पाण्डेय गणपत राय , स्वतंत्रता संग्राम का महानायक गया मुण्डा और छोटा नागपुर का वीर अहिंसावादी जतरा भगत पर लिखे गये कामिक्स भी रोचक ढंग से प्रस्तुत किये गये हैं और उनमें एकरसता और सुग्राह्यता बनाये रखने में लेखिका कामयाब हुई है |

सभी पुस्तकों की साज-सज्जा और कहानियों का प्रस्तुतीकरण सुरुचिपूर्ण है और बच्चों के लिये सुबोध और सुग्राह्य है | देश की आजादी के इतिहास और क्रांतिकारी वीरों की गाथाओं को कामिक्स के रूप में प्रस्तुत करके लेखिका अनिन्दिता और राजकमल प्रकाशन ने एक सराहनीय कार्य किया है | इस बात की पूरी संभावना है कि कामिक्स बहुत लोकप्रिय होंगे और स्कूलों और सार्वजनिक पुस्तकालयों में भी रखे जायेंगे | प्रत्येक पुस्तक का मूल्य 40 रुपये है , जिसे पुस्तक की साजा-सज्जा और आज के खर्चों के हिसाब से अधिक नहीं कहा जा सकता है |

अरुण कान्त शुक्ला ,रायपुर , छत्तीसगढ़